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Dharma Aastha: क्या आप जानते हैं? जयपुर के इस चमत्कारी गणेश मंदिर की 450 साल पुरानी अनोखी कहानी!

Dharma Aastha
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Dharma Aastha: क्या आप जानते हैं? जयपुर के इस चमत्कारी गणेश मंदिर की 450 साल पुरानी अनोखी कहानी!

राजधानी जयपुर में वैसे तो हर मंदिर को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं, लेकिन आमेर में स्थित सफेद आकड़े के मंदिर को खासतौर पर चमत्कारी माना जाता है। इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि यहां जो मूर्ति स्थापित है, वह जमीन से उत्पन्न हुई थी। इस मंदिर की स्थापना 16वीं शताब्दी में राजा मानसिंह प्रथम द्वारा की गई थी और यह सूर्यवंश शैली में बना हुआ है। यह 450 साल पुराना मंदिर 18 प्राचीन स्तंभों पर खड़ा है। मंदिर में गणेशजी की दो प्राचीन मूर्तियां हैं—एक ऊपर की मूर्ति सफेद आकड़े के गणपति की है, और दूसरी नीचे की मूर्ति पाषाण (मार्बल) से बनी है।

दिल से मांगी हर मनोकामना होती है पूरी!

इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि जो भी भक्त यहां लगातार 8 बुधवार को आता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। राजा मानसिंह प्रथम ने इस दुर्लभ मूर्ति को हिसार, हस्तिनापुर से जयपुर की स्थापना के पहले ही लाया था। यह भी कहा जाता है कि हिसार के राजा ने इस मूर्ति को वापस लाने के लिए आमेर में अपने घुड़सवार सैनिक भेजे थे। राजा मानसिंह ने इस पर श्वेत अर्क गणेश के पास ही एक और पाषाण की मूर्ति बनवा दी। इससे हिसार के सैनिक भ्रमित हो गए और दोनों बालस्वरूप मूर्तियों को वहीं छोड़ गए। तब से ये दोनों ढाई फीट की प्रतिमाएं बावड़ी के पास स्थित हैं और भक्तों की आस्था का केंद्र बनी हुई हैं।

गणेश चतुर्थी पर भव्य आयोजन

हर साल गणेश चतुर्थी के अवसर पर यहां भव्य मेले का आयोजन होता है। इसके साथ ही जागरण का भी आयोजन किया जाता है। खास बात यह है कि विवाह के निमंत्रण पत्र भी लोग यहां डाक या कोरियर द्वारा भेजते हैं, ताकि उनकी शादी सफल हो। मेले का समापन आमेर के कुंडा स्थित गणेश मंदिर से शोभायात्रा के रूप में होता है और यह यात्रा सफेद आकड़े वाले गणेशजी के मंदिर पर आकर खत्म होती है। मंदिर के महंत के अनुसार, मंदिर की सेवा-पूजा अब चौथी पीढ़ी द्वारा की जा रही है। राजा मानसिंह के समय हर दिन यहां अनुष्ठान होते थे और भगवान गणेश के समक्ष रोज़ाना 125 ग्राम सोना प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता था।

सिंदूर से बना चोला चढ़ता है

गुरु पुष्य नक्षत्र और रवि पुष्य नक्षत्र के दिनों में श्रद्धालु यहां विशेष रूप से अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना करते हैं। श्रद्धालु अपनी श्रद्धा के अनुसार भगवान गणेश को चढ़ावा चढ़ाते हैं और जब उनकी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं, तो वे भगवान गणेश को सिंदूर से बना हुआ चोला चढ़ाते हैं। इसके अलावा, भगवान को विशेष पोशाक भी पहनाई जाती है। हर बुधवार के दिन यहां भक्तों की लंबी कतार लगती है और दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आकर भगवान गणेश के दर्शन करते हैं।

राजस्थान के प्रसिद्ध गणेश मंदिर: इतिहास, मान्यताएं और विशेषताएं

यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसकी ऐतिहासिकता और वास्तुकला भी इसे बेहद खास बनाती है। यह 450 साल पुराना मंदिर जयपुर के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है, और इसे लेकर लोगों की गहरी आस्था है। अगर आप भी अपनी इच्छाओं की पूर्ति चाहते हैं, तो 8 बुधवार इस मंदिर में आकर दर्शन जरूर करें।

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