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Hathras Stampede: कौन हैं बाबा भोले, जिनके सत्संग में मची भगदड़?

Hathras Stampede: कौन हैं बाबा भोले
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Hathras Stampede: कौन हैं बाबा भोले, जिनके सत्संग में मची भगदड़?

Hathras Satsang Accident: हाथरस और एटा के बॉर्डर पर सत्संग कराने वाले बाबा कौन हैं? कौन हैं बाबा भोले, जो यहां सत्संग करवा रहे थे? बताया जा रहा है कि वह इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व कर्मचारी हैं।

Bhole Baba of Etah Hathras Satsang:  हाथरस कांड की हलचल के बीच यह सवाल उठ रहा है कि वह आध्यात्मिक गुरु कौन हैं, जिन्होंने सत्संग कराया था? बताया जा रहा है कि उनका नाम बाबा भोले है और वह एटा जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने 26 साल पहले इंटेलिजेंस ब्यूरो की नौकरी छोड़कर सत्संग करना शुरू किया था।

नारायण साकार हरि बाबा का परिचय:

नारायण साकार हरि या साकार विश्व हरि उर्फ बाबा भोले का जन्म उत्तर प्रदेश के एटा जिले में हुआ था। पटियाली तहसील के गांव बहादुर में जन्मे बाबा खुद को इंटेलिजेंस ब्यूरो का पूर्व कर्मचारी बताते हैं। 26 साल पहले उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर धार्मिक प्रवचन देना शुरू किया। बाबा भोले के लाखों अनुयायी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली सहित पूरे देश में हैं।

मंगलवार को उमड़ती है भीड़:

पश्चिमी यूपी के अलीगढ़ और हाथरस जिलों में नारायण साकार हरि का कार्यक्रम हर मंगलवार को होता है। इसमें हजारों की भीड़ जुटती है। बाबा भोले के अनुयायी खाने-पीने और अन्य व्यवस्थाओं का ध्यान रखते हैं। कोरोना के समय में भी, प्रतिबंधों के बावजूद, बाबा हजारों की भीड़ इकट्ठा कर चर्चा में आए थे।

सत्संग में पानी का महत्व:

बाबा भोले के सत्संग में आने वाले भक्तों को पानी बांटा जाता है। अनुयायी मानते हैं कि इस पानी को पीने से उनकी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। बाबा का आश्रम पटियाली तहसील के बहादुर नगर गांव में है, जहां एक हैंडपंप भी है। दरबार के दौरान इस हैंडपंप का पानी पीने के लिए लंबी लाइन लगती है।

अलीगढ़ से एटा तक अनुयायी:

सत्संग के आयोजक और आध्यात्मिक गुरु नारायण साकार विश्व हरि बाबा हैं। अलीगढ़, हाथरस और एटा जिलों में उनके धार्मिक प्रवचन पहले भी होते रहे हैं। अनुयायी उन्हें बाबा भोले कहकर बुलाते हैं। बताया जाता है कि 17 साल सरकारी नौकरी करने के बाद उन्होंने सत्संग शुरू किया था।

बाबा का आश्रम और अनुयायी:

नौकरी छोड़कर सूरज पाल साकार विश्व हरि बाबा बन गए और पटियाली के पास अपना आश्रम बनाया। बाबा के लाखों अनुयायी हैं, जो उत्तर प्रदेश से लेकर राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी हैं। बाबा भोले खुद को मीडिया से दूर रखते हैं, और उनके सत्संग की व्यवस्थाएं उनके वालंटियर्स संभालते हैं।

कौन हैं संत बाबा भोले:

संत बाबा भोले मूल रूप से कांशीराम नगर (कासगंज) के पटियाली गांव के रहने वाले हैं। पहले वह उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती हुए थे, लेकिन 18 साल की नौकरी के बाद वीआरएस ले लिया। वह अपने गांव में ही झोपड़ी बनाकर रहते हैं और उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में जाकर लोगों को भगवान की भक्ति का पाठ पढ़ाते हैं। बचपन में वह अपने पिता के साथ खेती करते थे, और जवान होने पर पुलिस में भर्ती हो गए थे। उनकी पोस्टिंग कई थानों और इंटेलिजेंस यूनिट में रही है।

इस प्रकार, बाबा भोले एक ऐसे आध्यात्मिक गुरु हैं, जिन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर धर्म और भक्ति की राह चुनी और अब लाखों अनुयायियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हैं।

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